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अर्जित धन का त्याग करते रहें

सप्तम अध्याय नीति : 14

अर्जित धन का त्याग करते रहें

चाणक्य नीति के सप्तम अघ्याय के चौदहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी तालाब के जल को स्वच्छ रखने के लिए उसका बहते रहना आवश्यक है। रूक जाने पर पानी गंदा हो जाता है। इसी प्रकार धन का भी त्याग करते रहना चाहिए। ऐसा न करने पर मनुष्यों में अनेक बुराईयाँ आ जाती है। धन को हमेशा अच्छे कामों में खर्च करते रहना चाहिए। यही धन की सबसे बड़ी रक्षा है।

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