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इनसे बचना चाहिए

सप्तम अध्याय नीति : 5 & 7

इनसे बचना चाहिए

चाणक्य नीति के सप्तम अघ्याय के पाँचवी ​नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दो ब्रह्मणों के बीच से और आग के बीच से, मालिक और नौकर के बीच से, पति और पत्नी के बीच से तथा हल और बैलों के बीच से नहीं गुजरना चाहिए। कहने का तात्पर्य यह है कि मनुष्य को गुजरते समय आसपास का माहौल देखकर ही गुजरना चाहिए।

वहीं छठी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि आग गुरू, ब्रह्मण, गाय, कुंआरी कन्या, बूढ़े लोग तथा बच्चों को पांव से नहीं छूना चाहिए। इनको पैर से छूना असभ्यता हैं, एवं उनका अनादर करना है।

 वहीं सातवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बैलगाड़ी से पाँच हाथ, घोड़े से दस हाथ, और हाथी से सौ हाथ दूर रहना चाहिए। परंतु दुष्ट व्यक्ति से बचने के लिए थोड़ी—बहुत दूरी बनाना पर्याप्त नहीं होता है एवं आवश्यकता पड़ने पर देश भी छोड़ा जा सकता है। अर्थात जहाँ दुष्ट व्यक्ति रहते हों वह स्थान को ही त्याग देना चाहिए।

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