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किस पर भरोसा नहीं करना चाहिए

प्रथम अध्याय नीति:1.15

किस पर भरोसा नहीं करना चाहिए

चाणक्य नीति के प्रथम अध्याय के पंद्रहवें नीति में आचार्य चाणक्य विश्वासयोग्य प्राणियों के बारे में कहते हैं कि लंबे नाखून वाले हिंसक पशुओं जैसे सिंह, भालू अथ्वा बाध आदि पर भरोसा नहीं करना चाहिए क्योंकि उनके संबंध में आप कभी आश्वस्त नहीं हो सकते हैं कि वे हमला नहीं करेंगे। हिंसक पशु स्वभाव से ही आक्रमक होते हैं। इसलिए उस पर विश्वास करने वाला व्यक्ति सदैव धोखा खाते हैं।

यदि आप नदी पार करना चाहते हैं तो आपको किसी व्यक्ति के बातों पर भरोसा नहीं करना चाहिए कि नदी का प्रवाह अथवा गहराई कितनी है, क्योंकि नदी के प्रवाह और उसकी गहराई के विषय में निश्चित धारणा कभी नहीं बताई जा सकती है। इसलिए नदी पार करते समय सावधान रहना चाहिए एवं अपना विवेक का प्रयोग करना चाहिए।

सींगवाले पशुओं एवं शस्त्रधारी व्यक्तियों पर भी भरोसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये भी स्वार्थवश कभी भी आक्रमण कर सकते है।

स्त्रियों का भी आंख मींचकर विश्वास नहीं करना चाहिए क्योंकि अधिकांश स्त्रियां करती कुछ है और करती कुछ और हैं। वे प्रेम किसी और से करती हैं एवं प्रेम का प्रदर्शन किसी अन्य से करती हैं। अत: उनके स्वामीभक्ति एवं पतिव्रता होने पर विश्वास नहीं किया जा सकता। इसमें सावधानी बरतनी चाहिए।

राजनीति हमेशा परिवर्तनशील होती है। राजपरिवार के लोग सत्ता से जुड़े होने के कारण या सत्ता पाने के लोभ में कूट चालों में ग्रस्त रहते हैं, उसी के शिकार भी होते हैं। उनके मित्र व शत्रु सामयिक हानि—लाभ पर निर्भर करता है। इसलिए राजपरिवारों का कभी विश्वास नहीं करना चाहिए।

अत:चाणक्य नीति के अनुसार उपर कहे गये 6 प्राणियों पर  यानि लंबे नाखून वाले हिंसक पशु, नदी, बड़े सींगवाले पशु, शस्त्रधारी मानव, स्त्री और राजपरिवार  अंधविश्वास नहीं करना चाहिए। इससे हमेशा सावधान रहना चाहिए।  

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