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कुलीनों की संगति करें

तृतीय अध्याय नीति :3-5

कुलीनों की संगति करें

चाणक्य नीति के तृतीय अध्याय के पाँचवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि संगति या मित्रता कुलीन यानि खानदानी व्यक्ति से ही करना चाहिए क्योंकि खानदानी व्यक्ति आरंभ से अंत तक यानि जीवनभर साथ निभाते हैं। सुख—दुख में साथ रहते हैं। इसीलिए राजा, राजकीय सेवाओं में कुलीनों को ही रखते हैं।

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