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तुच्छता में बड़प्पन नहीं

द्वादश अध्याय नीति : 9—10

तुच्छता में बड़प्पन नहीं

चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के नौवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस शहर में विद्वान, बुद्धिमान, ज्ञानी पुरूष नहीं रहते हैं, जहाँ के लोग दान नहीं जानते, जहाँ अच्छे काम करने में कोई निपुण नहीं हो किंतु लूट—खसोट, बुरे—चाल—चलन में पारंगत हो, ऐसी जगह को गंदगी का ढेर ही समझना चाहिए और वहाँ के लोगों को गंदगी के कीड़े। दुख का विषय यह है कि आज संसार इन्हीं बातों पर चल रहा है।

वहीं दसवी नीति में आचार्य कहते हैं कि जिन घरों में विद्वानों, ब्राह्मणों का आदर नहीं होता, वेदों, शास्त्रों का अध्ययन पाठ या कथा नही होती एवं यज्ञ नहीं किये जाते हैं, ऐसे घरों को श्मशान के समान ही समझना चाहिए।

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