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धन संचय अवश्य करें

प्रथम अध्याय नीति:1.7

धन संचय अवश्य करें

चाणक्य नीति के प्रथम अध्याय के सातवें नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बुरा समय आने पर मुष्य का सब कुछ नष्ट हो सकता है। लक्ष्मी चंचल होती है। इसका कोई भरोसा नहीं है कि कब साथ छोड़ जाये। दुख के समय के लिए धन की रक्षा अवश्य करना चाहिए, चाहे व्यक्ति कितना भी धनवान क्यों न हो।

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