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नाश

एकादश अध्याय नीति : 2

नाश

चाणक्य नीति के एकादश अघ्याय के दूसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस देश में न्याय—कानून की व्यवस्था चौपट हो जाती है, वह देश धीरे —धीरे नष्ट हो जाता है। इसी प्रकार अपने समाज या देश के साथ धोखा कर दूसरे समाज या देश में मिल जानेवाला व्यक्ति भी नष्ट हो जाता है।

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