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भावुकता से बचना चाहिए

दशम अध्याय नीति : 15

भावुकता से बचना चाहिए

चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के पंद्रहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि एक ही वृक्ष पर बैठे हुए अनेक रंगों के पक्षी सुबह होने पर अलग—अलग दिशाओं में चले जाते हैं। इसमें कोई अनोखी बात नहीं है। उसी प्रकार परिवार के सभी सदस्य परिवार रूपी वृक्ष पर आ बैठते हैं और समय आने पर चल देते हैं। संयोग —वियोग प्रकृति का नियम है। इसमें दुखी नहीं होना चाहिए। जो आया है वह एक दिन जरूर जायेगा। इसलिए इस भावुकता से बचना चाहिए।

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