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मनुष्य अकेला होता है

पंचम अध्याय नीति : 13

मनुष्य अकेला होता है

चाणक्य नीति के पंचम  अघ्याय के तेरहवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यह सच है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, लेकिन कुछ कामों को उसे अकेला ही करना पड़ता है। मनुष्य अकेला ही जन्म लेता है, अकेले ही मृत्यु को प्राप्त करता है। अकेला ही शुभ—अशुभ कर्मों का भोग करता है। अकेला ही नरक में गिरता है और अकेला ही मोक्ष को भी प्राप्त करता है।

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