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मित्र के रूप

पंचम अध्याय नीति : 15

मित्र के रूप

चाणक्य नीति के पंचम  अघ्याय के पंद्रहवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि घर से बाहर विद्या मित्र होती है, घर में पत्नी मित्र होती है। रोगी के लिए दवा मित्र होती है और मृत्यु के बाद व्यक्ति का धर्म उसका मित्र होता है।

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