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व्यर्थ जीवन

द्वादश अध्याय नीति : 5

व्यर्थ जीवन

चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के पाँचवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिन लोगों का भगवान श्री कृष्ण के चरण कमलों में अनुराग नहीं है, जिनकी जिह्वा को श्री राधा जी और गोपियों के गुणगान में आनंद नहीं आता, जिनके कान श्रीकृष्ण की सुंदर कथा सुनने के लिए सदा उत्सुक नहीं रहते, उसे धिक्कार है, उसका जीवन व्यर्थ है।

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