सप्तदश अध्याय नीति : 2
शठ के साथ शठता
चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के दूसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि उपकारी के साथ उपकार, तथा हिंसक के साथ प्रतिहिंसा करनी चाहिए। दुष्ट के साथ दुष्टता का ही व्यवहार करना चाहिए। इसमें कोई दोष नहीं है।
सप्तदश अध्याय नीति : 2
शठ के साथ शठता
चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के दूसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि उपकारी के साथ उपकार, तथा हिंसक के साथ प्रतिहिंसा करनी चाहिए। दुष्ट के साथ दुष्टता का ही व्यवहार करना चाहिए। इसमें कोई दोष नहीं है।