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शरीर का महत्व

चतुर्दश अध्याय नीति :3

शरीर का महत्व

चाणक्य नीति के चतुर्दश अघ्याय के तीसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि धन नष्ट होने पर  उसे दुबारा कमाया जा सकता है। मित्र रूठ जाने पर उसे मनाया जा सकता है। एक मित्र साथ छोड़ दे तो दूसरा बनाया जा सकता है। यही बात पत्नी पर भी लागू हो सकती है। यदि कोई जमीन हाथ से निकल जाए तो उसे दुबारा प्राप्त किया जा सकता है किंतु एक बार शरीर साथ छोड़ दे तो यह दुबारा नहीं मिलता।

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