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संसार को तिनके के समान समझें

पंचम अध्याय नीति : 14

संसार को तिनके के समान समझें

चाणक्य नीति के पंचम  अघ्याय के चौदहवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति ब्रह्म को जान लेता है उसे स्वर्ग की इच्छा नहीं रहती। युद्ध भूमि में वीरता दिखाने वाला योद्धा अपने जीवन की परवाह नहीं करता। जो इन्द्रियों को जीत लेता है उसके लिए स्त्री मामूली वस्तु हो जाती है। जिस योगी की सभी इच्छांए समाप्त हो जाती है, वह सारे संसार को तिनके के समान समझने लगता है।

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