दोस्तों जैसे—जैसे मानव विकास के नये आयाम को छू रहे हैं, सोचने—समझने की शक्ति में भी परिवर्तन हो रहा है। ज्यादातर लोग इसे सकारात्मक मान रहे हैं। बाजार का नियम है जो दिखता है वह बिकता है। विचारों पर भी यही नियम लागू होता है। जिस विचार को मजबूती से प्रस्तुत किया जाता है, उसे प्रभावशाली मान लिया जाता है। परिणाम को भी प्रस्तुतकर्त्ता अपने सुविधानुसार तोड़—मोड़ कर ही प्रस्तुत करते हैं। आजकल Specialist यानि विशेषज्ञ बनने का चलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है। जीवन के हर क्षेत्र में लोगों को Specialist बनने की सलाह दी जाती है। कैरियर सलाहकर्त्ता, कोच या कोई अपने शुभचिंतक सब के सब Specialist बनने की ही सलाह देते हैं। मोटिवेशनल स्पीकरों के द्वारा Specialist बनने की सलाह को पुरजोर समर्थन दिया जाता है। कारण Specialist बनकर अपार धन अर्जित किया जा सकता है। और यह सत्य साबित भी हो रहा है। मतलब यह प्रयोग सिद्ध हो चुका है। खेल हो, चिकित्सा हो या जीवन के कोई भी क्षेत्र हो Specialist का ही बोलबाला है। सचिन तेंदुलकरएवं विराट कोहली बैट्समैन के रूप में ख्यातिप्राप्त किये, अनिल कुंबले बॉलर के रूप में। चिकित्सा के क्षेत्र में प्रत्येक अंग के अलग—अलग Specialist होते हैं। अब जनरल फिजिशियन या सर्जन का चलन कम होता जा रहा है। अब आप किसी भी क्षेत्र के Specialist को ढूँढ़ सकते हैं जो सफलता के शिखर पर है। वे न केवल आर्थिक रूप से समृद्ध है बल्कि प्रतिष्ठित भी हैं। मुझे लगता है कि Specialist बनने से मानव समाज को होने वाले नुकसान की ओर कोई ध्यान देना उचित नहीं समझता है। Specialist से जितने लाभ हैं, शायद हानि भी कम नहीं हैं। लेकिन हमें अभी इससे होने वाले नुकसान पर कभी ध्यान दिया ही नहीं। जबकि कई बार इसके दुष्परिणाम हमें साफ दिखाई पड़ता है। पर हम इसे Ignore कर देते हैं। धीरे—धीरे यह परिपाटी विकराल रूप धारण करेगी, जो जरूर खतरनाक होगा। मेरा उद्देश्य नकारात्मक विचार फैलाना नहीं बल्कि इससे होने वाले दुष्परिणाम या नुकसान से आगाह करना है। मैं इसलिए भी बता रहा हूँ क्योंकि मैं इसका भुक्तभोगी हूँ। Specialist बनने के पीछे जो अप्रत्यक्ष कारण है, वह है कम मेहनत करने की प्रवृत्ति। अगर कम मेहनत में ज्यादा धन कमाया जा सकता है तो ज्यादा मेहनत क्यों किया जाए। हलांकि शुरूआत में ऐसा ही हुआ होगा। लेकिन आजकल यह माना जाने लगा है कि अच्छा कार्य सिर्फ और सिर्फ Specialist ही कर सकते हैं। इसीलिए सारे क्षेत्रों में Specialist का ही बोलबाला है। पहले इंसान का डॉक्टर हुआ करता था अब आँख के अलग, कान के अलग, हृदय के अलग, किडनी के अलग, त्वचा के अलग यहाँ तक कि बाल के अलग डॉक्टर होते हैं। मतलब सारे अंगों के अलग—अलग डॉक्टर। लोगों को लगता है कि आँख के विशेषज्ञ ही आँख का बढ़िया ईलाज कर सकते हैं। पर असल में Eye Specialist आँख के अलावा कुछ नहीं जानता है या जानने का प्रयास करता है। और आप जानते हैं कि आँख अगर कमजोर हो रहा है तो इसका कारण कुछ और है। पर Eye Specialist अधिकतर मामलों में मरीज को चश्मा पहनाकर टहला देते हैं। उसे सिर्फ आँख के बारे में जानने या पढ़ने में स्वाभाविक रूप से कम मेहनत एवं समय लगा होगा बनिस्पत वह पूरे मानव अंगों के बारे में जानने या पढ़ने का प्रयास करता।
अगर आप आजमाना चाहते हैं तो Tuberculosis (TB) के बारे में इसे विशेषज्ञ के अलावा किसी अन्य डॉक्टर से पूछ लिजिये। 99 प्रतिशत को कुछ भी पता नहीं है। जबकि इस खतरनाक रोग से दुनियाभर में सबसे ज्यादा मौतें होती है।
आप क्रिकेट मैच में कई बार देखें होगे कि अंतिम ओवर में मात्र 4 रन बनाने थे और विशुद्ध रूप से बॉलर, बल्लेबाजी करने उतरते हैं। दो—तीन विकेट खोकर भी 4 रन नहीं बना पाता है। हम यह सोचकर संतोष कर लेते हैं कि बॉलर से बल्लेबाजी की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। इसमें हमें कहीं गलती भी नजर नहीं आती है। जीवन के दूसरे क्षेत्रों में भी यही हो रहा है। बेहद सफल व्यक्तियों का भी वैवाहिक जीवन असफल हो जाता है। हवाई जहाज संभालने वाला गृहस्थी नहीं संभाल पा रहा है। कंप्यूटर पर प्रोग्राम लिखने वाला अपनी जीवन साथी के साथ सही प्रोग्राम नहीं लिख पा रहा है। गणित के प्रोफेसर साहब आटा—दाल का हिसाब नहीं लगा पा रहे हैं। फलत: गृहकलह होता है। और तो और जिला, राज्यऔर देश चलाने वाला घर चलाने से भाग रहे हैं। हो सकता है आप अपने तर्कों से मुझे गलत साबित कर दें पर जरा सोचिये अगर जीवन के प्रत्येक क्षेत्रों की थोड़ी—थोड़ी जानकारी देने की व्यवस्था हो तो कितनी जाने बच सकती है। डॉक्टरों के नासमझी के कारण हाने वाले मौत, जानकारी के अभाव में या साहस के अभाव में आत्महत्या या इस तरह की मौतें को हम बचा सकते हैं।