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सब ईश्वर की माया है

दशम अध्याय नीति : 17—18

सब ईश्वर की माया है

चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के सतरहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मुझे अपने जीवन में कोई चिंता नहीं है। क्योंकि भगवान को विश्व का पालन—पोषण करनेवाला कहा जाता है। बच्चे के जन्म के पहले ही माँ के स्तनों में दूध आ जाता है। यह ईश्वर की ही माया है। इस सब का विचार करते हुए हे भगवान विष्णु मैं रात—दिन आपका ही ध्यान करता हुआ समय बिताता हूँ।

वहीं अठारहवें नीति में आचार्य कहते हैं कि संस्कृत भाषा का विशेष ज्ञान होने पर भी मैं अन्य भाषाओं को सीखना चाहता हूँ। स्वर्ग में देवताओं के पास पीने के लिए अमृत होता है, फिर भी वे अपसराओं के अधरों का रस पीना चाहते हैं।

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