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सीख कहीं से भी ले लें

द्वादश अध्याय नीति :17

सीख कहीं से भी ले लें

चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के सतरहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति सभी से कुछ न कुछ सीख सकता है। उसे राजपुत्रों से विनयशीलता और नम्रता की, पंडितों से उत्तम ढंग से बोलने की, जुआरियों से झूठ के रूप भेदों की तथा स्त्रियों से छल—कपट की शिक्षा लेनी चाहिए।

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