द्वितीय अध्याय नीति :2.1
स्त्रियों के स्वाभाविक दोष
चाणक्य नीति के दूसरे अध्याय के पहली नीति में आचार्य चाणक्य नारी के स्वाभाव का वर्णन किया है। वे कहते हैं कि झूठ बोलना, साहस, छल—कपट, मूर्खता, अत्यन्त लोभ, अपवित्रता एवं निर्दयता— ये स्त्रियों के स्वाभाविक दोष हैं। स्त्रियों में यह प्रवृति जन्म से ही होती है। हलांकि यह स्वाभाविक दोष हैं फिर भी हमें यह मानना चाहिए कि ये जरूरी नहीं है कि यह दोष सभी स्त्रियों में मौजूद हो।