Skip to content

स्वाध्याय

द्वितीय अध्याय नीति :2.13

स्वाध्याय

चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय के तेरहवें नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मानव जीवन अमूल्य है। इसका एक—एक क्षण अमूल्य है। मानव जीवन को सफल बनाने के लिए स्वाध्याय , चिंतन—मनन एवं दान कार्य करते हुए दिन को सार्थक करना चाहिए। व्यक्ति को चाहिए कि किसी एक श्लोक का या आधे या उसके भी आधे अथवा एक अक्षर का ही सही मनन करें। यह अगर जीवन का नियम बना लिया जाए तो जीवन सर्वोत्तम हो जायेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *