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संकट का सामना करें

पंचम अध्याय नीति : 3

संकट का सामना करें

चाणक्य नीति के पंचम  अघ्याय के तीसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि आपत्तियों एवं संकटों से तभी तक डरना चाहिए जब तक वह दूर हैं। परंतु वह संकट सिर पर आ जाय तब डरना नहीं चाहिए, बल्कि उस समय उसका निदान ढूँढना चाहिए। उसका डटकर मुकाबला करना चाहिए। भय से मुक्ति पाने के लिए उसका हल ढूँढ़ना चाहिए। वीर एवं साहसी पुरूषों का यही धर्म है।  

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