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बुद्धि भाग्य के पीछे चलती है

षष्ठम अध्याय नीति : 6

बुद्धि भाग्य के पीछे चलती है

चाणक्य नीति के षष्ठम अघ्याय के छठी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य जैसा भाग्य लेकर पैदा होता है उसकी बुद्धि भी उसी के समान बन जाती है। कार्य—व्यापार भी उसी के अनुसार मिलता है। उसके सहयोगी साथी भी उसके भाग्य के अनुरूप ही होते हैं। सारा क्रिया—कलाप भाग्यानुसार ही संचालित होता है। 

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