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दुष्कर्मी नरक भोगते हैं

सप्तम अध्याय नीति : 16

दुष्कर्मी नरक भोगते हैं

चाणक्य नीति के सप्तम अघ्याय के सौलहवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दुष्ट व्यक्ति अत्यंत क्रोधी स्वभाव का होता है। इसकी वाणी कड़वी होती है, उसके मुंह से मीठे बोल निकल ही नहीं सकता। वह सदा दरिद्र—गरीब ही रहता है। उसकी अपने परिवार वालों से भी शत्रुता रहती है। नीच लोगों से दोस्ती एवं ऐसे ही लोगों की सेवा करना उसका काम होता है। जिस व्यक्ति में ये सारे अवगुण हो उसे नरक की आत्मा का अवतार समझना चाहिए।

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