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महापुरूषों का धन सम्मान है

अष्टम अध्याय नीति:1

महापुरूषों का धन सम्मान है

चाणक्य नीति के अष्टम अघ्याय के पहली नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि नीच लोगों के लिए धन ही सब कुछ होता है। धन प्राप्त करने के लिए नीच लोग हर सही—गलत तरीका अपनाते हैं। औसत आदमी सम्मान के साथ धन चाहते हैं। महापुरूष धन की अपेक्षा मान—सम्मान को ज्यादा महत्व देते हैं। मान—सम्मान ही महापुरूषों के लिए धन है।

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