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इनसे हानि ही होती है

अष्टम अध्याय नीति : 22

इनसे हानि ही होती है

चाणक्य नीति के अष्टम अघ्याय के बाइसवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस राजा के राज्य में अन्न की कमी हो, जो यज्ञ के ब्राह्मण यज्ञ के मंत्र नहीं जानते हों, तथा जो यजमान यज्ञ में दान न देता हो ऐसा राजा, ब्राह्मण एवं यजमान तीनों ही राष्ट्र को नष्ट कर देते हैं। इनका यज्ञ करना राष्ट्र के साथ शत्रुता दिखाना ही है।

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