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गुणहीन मनुष्य पशु समान

दशम अध्याय नीति: 7

गुणहीन मनुष्य पशु समान

चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के सातवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो मनुष्य विद्या का अध्ययन नहीं करते हैं, जो तपस्या नहीं करते हैं, जो कभी दान नहीं करते हैं, जिसका आचरण अच्छा नहीं है, जिसमें कोई भी सद्गुण नहीं है तथा जो पुण्य—धर्म नहीं करता है। जिस मनुष्य में इनमें से एक भी अच्छाई नहीं हो, ऐसे मनुष्य बेकार ही पृथ्वी पर भार बढ़ाते हैं। ऐसे लोगों को मनुष्य के रूप में पशु ही समझना चाहिए।

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