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ऋषि

एकादश अध्याय नीति : 11

ऋषि

चाणक्य नीति के एकादश अघ्याय के ग्यारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ऋषि उस ब्राह्मण को कहते हैं जो घर छोड़कर वन में रहने लगता है, बिना जोती हुई भूमि में उपजे फलों तथा कंद—मूल का भोजन करता है। सदा पितरों का श्राद्ध करता है।

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