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द्विज

एकादश अध्याय नीति : 12

द्विज

चाणक्य नीति के एकादश अघ्याय के बारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो ब्राह्मण दिन में केवल एक बार भोजन करता है और उसी से संतुष्ट रहता है । जो पढ़ने—पढ़ाने, तपस्या करने आदि कार्यो में लगा रहता है तथा जो केवल मासिक धर्म के बाद ऋतुकाल में ही अपनी पत्नी से संभोग करता है वही ब्राह्मण द्विज कहा जाता है।

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