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दान

द्वादश अध्याय नीति : 2

दान

चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के दूसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति दुखियों, गरीबों, विद्वान महापुरूषों आदि को थोड़ा सा भी दान देता है, उसे भले ही उस व्यक्तियों से प्रकट में कुछ भी नहीं मिलता हो किंतु इससे उसे बड़ा पुण्य मिलता है। उसे दिये गये दान से हजारों—लाखों गुणा अधिक प्राप्त होता है।

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