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संगति की महिमा

द्वादश अध्याय नीति : 7—8

संगति की महिमा

चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के सातवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि फूलों की सुगंध से मिट्टी तो सुगंधित हो जाती है पर मिट्टी के गंध का फूलों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसी प्रकार साधुओं और सज्जनों के संगति से दुर्जनों में भी अच्छे गुण आ जाते हैं। परंतु दुष्टों की दुष्टता का सज्जनों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। ऐसा चरित्र की दृढ़ता के कारण ही संभव हो पता है।

वहीं आठवी नीति में आचार्य कहते हैं कि साधु तीर्थों के समान होता है। उनके दर्शन मात्र से मनुष्य पापों से दूर हो जाता है एवं उसे पुण्य मिलता है। तीर्थों में जाने से तो फल मिलने में देरी हो सकती है परंतु साधुओं की संगति का फल शीघ्र मिल जाता है।

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