त्रयोदश अध्याय नीति : 5
स्नेह दुख का जड़ होता है
चाणक्य नीति के त्रयोदश अघ्याय के पाँचवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिसे किसी से प्रेम होता है उसे उसी से भय भी होता है। स्नेह ही सारे दुखों का जड़ है। अगर सुखपूर्वक रहना हो तो स्नेहबंधनों को तोड़ना पड़ेगा।