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सेवा भाव

त्रयोदश अध्याय नीति : 16

सेवा भाव

चाणक्य नीति के त्रयोदश अघ्याय के सोलहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि भूमि से पानी निकालने के लिए जमीन को खोदा जाता है। इसमें व्यक्ति को परिश्रम करना पड़ता है। इसी प्रकार गुरू से विद्या प्राप्त करने में भी परिश्रम और सेवा करनी पड़ती है।

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