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थोड़ी भी अधिक है

चतुर्दश अध्याय नीति :5

थोड़ी भी अधिक है

चाणक्य नीति के चतुर्दश अघ्याय के पाँचवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जल में तेल, दुष्ट से कही गई गुप्त बात, योग्य व्यक्ति को दिया गया दान तथा बुद्धिमान को दिया गया ज्ञान थोड़ा सा होने पर भी अपने आप विस्तार पा लेता है।

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