पंचदश अध्याय नीति : 17
प्रेम बंधन
चाणक्य नीति के पंचदश अघ्याय के सतरहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बंधन तो अनेक हैं, किंतु प्रेम की डोर का बंधन अलग ही है। लकड़ी में छेद करने में भी निपुण भँवरा कमल के कोश में निष्क्रिय हो जाता है।
पंचदश अध्याय नीति : 17
प्रेम बंधन
चाणक्य नीति के पंचदश अघ्याय के सतरहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बंधन तो अनेक हैं, किंतु प्रेम की डोर का बंधन अलग ही है। लकड़ी में छेद करने में भी निपुण भँवरा कमल के कोश में निष्क्रिय हो जाता है।