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गुण बड़ा दोष छोटे

सप्तदश अध्याय नीति : 19-21 गुण बड़ा दोष छोटे चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के उन्नीसवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि एक गुण सारे दोषों को नष्ट कर देता है। वहीं बीसवी नीति… गुण बड़ा दोष छोटे

परदुख कातरता

सप्तदश अध्याय नीति : 18 परदुख कातरता चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के अठारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि राजा, वेश्या, यमराज, आग, चोर, बालक, भिखारी और ग्राकंटक ये आठ लोग व्यक्ति के… परदुख कातरता

गुणहीन पशु

सप्तदश अध्याय नीति : 16—17 गुणहीन पशु चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के सोलहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि भोजन, नींद, भय तथा मैथुन करना ये सब बातें मनुष्यों एवं पशुओं में समान… गुणहीन पशु

घर में स्वर्ग का सुख

सप्तदश अध्याय नीति : 15 घर में स्वर्ग का सुख चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के पंद्रहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस घर में शुभ लक्षणोवाली स्त्री हो, धन संपत्ति हो, विनम्र… घर में स्वर्ग का सुख

शोभा

सप्तदश अध्याय नीति : 12—14 शोभा चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के बारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि नाई के घर जाकर दाढ़ी, बाल नहीं कटाने चाहिए। पत्थर में घिसा हुआ चंदन शरीर… शोभा

सुंदरता

सप्तदश अध्याय नीति : 11 सुंदरता चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के ग्यारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हाथों की सुंदरता दान से है न कि कंगन पहनने से, शरीर स्नान से शुद्ध… सुंदरता

पति परमेश्वर

सप्तदश अध्याय नीति : 10 पति परमेश्वर चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के दसवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि स्त्री न दान से न सैकड़ों व्रतों से और न तीर्थों की यात्रा करने… पति परमेश्वर

कुपत्नी

सप्तदश अध्याय नीति : 9 कुपत्नी चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के  नवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि पति की आज्ञा के बिना उपवास लेकर व्रत करनेवाली पत्नी पति की आयु को हर… कुपत्नी

दुष्टता

सप्तदश अध्याय नीति : 8 दुष्टता चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के आठवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि सर्प के दांत में विष होता है, मक्खी के सिर में, बिच्छू की पूंछ में… दुष्टता

माँ से बढ़कर कोई नहीं

सप्तदश अध्याय नीति : 7 माँ से बढ़कर कोई नहीं चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के सातवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अन्न और जल के समान कोई दान नहीं है। द्वादशी के… माँ से बढ़कर कोई नहीं

लाचारी

सप्तदश अध्याय नीति : 6 लाचारी चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के  छठी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि शक्तिहीन व्यक्ति साधु बन जाता है, निर्धन ब्रह्मचारी बन जाता है, रोगी भक्त कहलाने लगता… लाचारी

विडंबना

सप्तदश अध्याय नीति : 5 विडंबना चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के  पाँचवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि रत्नों की खान समुद्र शंख का पिता है। धन की देवी लक्ष्मी उसकी सगी बहन… विडंबना

तप की महिमा

सप्तदश अध्याय नीति : 3—4 तप की महिमा चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के तीसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि तप सबसे शक्तिशाली हैं जो दूर है, दुराध्य है, वह सब तप से … तप की महिमा

शठ के साथ शठता

सप्तदश अध्याय नीति : 2 शठ के साथ शठता चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के दूसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि उपकारी के साथ उपकार, तथा हिंसक के साथ प्रतिहिंसा करनी चाहिए। दुष्ट… शठ के साथ शठता

विद्या और धन समय के

षष्ठदश अध्याय नीति: 20 विद्या और धन समय के चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के बीसवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि पुस्तक की विद्या और दूसरे के हाथ में गया धन समय पर… विद्या और धन समय के

मीठे बोल

षष्ठदश अध्याय नीति : 17—19 मीठे बोल चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के सतरहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मधुर बचन बोलना, दान के समान है। इससे सभी मनुष्यों को आनंद मिलता है।… मीठे बोल

निर्धनता

षष्ठदश अध्याय नीति : 16 निर्धनता चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के सौलहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि निर्धनता जीवन का अभिशाप है। समाज में भाई—बंधुओं के बीच गरीबी में जीना अच्छा नहीं… निर्धनता

याचकता

षष्ठदश अध्याय नीति : 15 याचकता चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के  पंद्रहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मांगने से मर जाना अच्छा है। तिनका हलका होता है, तिनके से हलकी रूई होती… याचकता

सार्थक दान

षष्ठदश अध्याय नीति : 14 सार्थक दान चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के चौदहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि योग्य तथा जरूरतमंद को ही दान देना चाहिए। अन्य दान, यज्ञ आदि नष्ट हो… सार्थक दान

अनुचित धन

षष्ठदश अध्याय नीति : 11—13 अनुचित धन चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के  ग्यारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो धन किसी को दुखी करके प्राप्त हो, जो चोरी, तस्करी, काला बाजारी आदि… अनुचित धन

महानता

षष्ठदश अध्याय नीति : 6—10 महानता चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के छठी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि गुणों से ही मनुष्य बड़ा बनता है न कि किसी ऊँचे स्थान पर बैठ जाने… महानता

विनाश काले विपरीत बुद्धि

षष्ठदश अध्याय नीति : 5 विनाश काले विपरीत बुद्धि चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के पाँचवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि विनाश आने पर बुद्धि साथ छोड़ जाती है। सोने की हिरन न… विनाश काले विपरीत बुद्धि

स्त्री का चरित्र

षष्ठदश अध्याय नीति : 2—4 स्त्री का चरित्र चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के दूसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि स्त्रियां एक से बात करती है कटाक्ष से दूसरे को देखती है और… स्त्री का चरित्र

संतान

षष्ठदश अध्याय नीति : 1 संतान चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के पहली नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो मनुष्य न तो मोक्ष पाने के लिए परमात्मा का ध्यान करता है न स्वर्ग… संतान