हाथ आई चीज न गंवाएँ
प्रथम अघ्याय नीति :1.13 हाथ आई चीज न गंवाएँ चाणक्य नीति के प्रथम अध्याय के तेरहवें नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो निश्चित को छोड़कर अनिश्चित का सहारा लेता है, उसका निश्चित भी… हाथ आई चीज न गंवाएँ
प्रथम अघ्याय नीति :1.13 हाथ आई चीज न गंवाएँ चाणक्य नीति के प्रथम अध्याय के तेरहवें नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो निश्चित को छोड़कर अनिश्चित का सहारा लेता है, उसका निश्चित भी… हाथ आई चीज न गंवाएँ
मानव का वास्तविक गुण मानव में कब होता है? अक्सर हम सब मानव के गुणों एवं दुगुर्णों की चर्चा करते हैं तब हम यह भूल जाते हैं कि इनमें से अधिकांश गुण—दुर्गुण जो हममें हैं… आप जिद्दी हैं, नहीं तो आप पिद्दी हैं।