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संस्कार का प्रभाव

एकादश अध्याय नीति : 1 संस्कार का प्रभाव चाणक्य नीति के एकादश अघ्याय के पहली नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दान देने का स्वभाव, सबके साथ मधुरता से बातें करना, धीरज तथा सही… संस्कार का प्रभाव

चिंता चिता समान

दशम अध्याय नीति : 20 चिंता चिता समान चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के बीसवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ​चिंता करने से रोग बढ़ते हैं। दूध पीने से मनुष्य का शरीर बढ़ता… चिंता चिता समान

घी सबसे बड़ी शक्ति शक्तिशाली

दशम अध्याय नीति : 19 घी सबसे बड़ी शक्ति शक्तिशाली चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के उन्नीसावीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि साधारण भोजन से आटे में दस गुनी अधिक शक्ति होती है।… घी सबसे बड़ी शक्ति शक्तिशाली

सब ईश्वर की माया है

दशम अध्याय नीति : 17—18 सब ईश्वर की माया है चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के सतरहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मुझे अपने जीवन में कोई चिंता नहीं है। क्योंकि भगवान को… सब ईश्वर की माया है

बुद्धि ही बल है

दशम अध्याय नीति : 16 बुद्धि ही बल है चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के सौलहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति के पास बुद्धि है, उसी के पास बल भी होता… बुद्धि ही बल है

भावुकता से बचना चाहिए

दशम अध्याय नीति : 15 भावुकता से बचना चाहिए चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के पंद्रहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि एक ही वृक्ष पर बैठे हुए अनेक रंगों के पक्षी सुबह होने… भावुकता से बचना चाहिए

घर में ही त्रिलोक का सुख

दशम अध्याय नीति : 14 घर में ही त्रिलोक का सुख चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के चौदहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस मनुष्य की मां का गुण लक्ष्मी के समान तथा… घर में ही त्रिलोक का सुख

ब्राह्मण धर्म

दशम अध्याय नीति : 13 ब्राह्मण धर्म चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के तेरहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि संध्या पूजा ब्राह्मण का मुख्य कार्य है। ऐसा न करनेवाला ब्राह्मण को ब्राह्मण नहीं… ब्राह्मण धर्म

निर्धनता अभिशाप है

दशम अध्याय नीति : 12 निर्धनता अभिशाप है चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के बारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य हिंसक जीवों से घिरे वन में रह ले, वृक्ष पर घर बनाकर… निर्धनता अभिशाप है

दुश्मनी का परिणाम

दशम अध्याय नीति : 11 दुश्मनी का परिणाम चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के ग्यारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि साधु—महात्माओं से शत्रुता करने पर मृत्यु होती है। शत्रु से द्वेष करने पर… दुश्मनी का परिणाम

उपदेश सुपात्र को ही देना चाहिए

दशम अध्याय नीति : 8—10 उपदेश सुपात्र को ही देना चाहिए चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के आठवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति के भीतर समझने की शक्ति नहीं है, ऐसे… उपदेश सुपात्र को ही देना चाहिए

गुणहीन मनुष्य पशु समान

दशम अध्याय नीति: 7 गुणहीन मनुष्य पशु समान चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के सातवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो मनुष्य विद्या का अध्ययन नहीं करते हैं, जो तपस्या नहीं करते हैं,… गुणहीन मनुष्य पशु समान

लोभी से कुछ नहीं मांगे

दशम अध्याय नीति : 6 लोभी से कुछ नहीं मांगे चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के छठी  नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि लोभी व्यक्तियों के लिए भीख, चंदा तथा दान मांगनेवाला व्यक्ति शत्रुरूप… लोभी से कुछ नहीं मांगे

भाग्य

दशम अध्याय नीति : 5 भाग्य चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के पाँचवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि भाग्य बड़ा बलवान होता है। यह एक भिखारी को पल भर में राजा बना देता… भाग्य

कवि क्या नहीं देखते

दशम अध्याय नीति : 4 कवि क्या नहीं देखते चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के चौथी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कवि क्या नहीं देेखते? स्त्रियां क्या नहीं करती? शराबी क्या नहीं बकते?… कवि क्या नहीं देखते

विद्या किसे प्राप्त होती है

दशम अध्याय नीति : 3 विद्या किसे प्राप्त होती है चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के तीसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि विद्या बड़ी मेहनत से प्राप्त होती है। विद्या प्राप्त करना और… विद्या किसे प्राप्त होती है

सोच विचार कर काम करना चाहिए

दशम अध्याय नीति : 2 सोच विचार कर काम करना चाहिए चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के दूसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अच्छी तरह देखकर ही धरती पर पांव रखना चाहिए, कपड़े… सोच विचार कर काम करना चाहिए

​विद्या सबसे बड़ा धन है

दशम अध्याय नीति : 1 ​विद्या सबसे बड़ा धन है चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के पहली नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि विद्वान व्यक्ति यदि निर्धन हो तो भी उसे हीन नहीं समझना… ​विद्या सबसे बड़ा धन है

मर्दन से गुण बढ़ते हैं

नवम अध्याय नीति : 13 &14 मर्दन से गुण बढ़ते हैं चाणक्य नीति के नवम अघ्याय के तेरहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि गन्ने को और तिलों को पेरे जाने से, शूद्रों से… मर्दन से गुण बढ़ते हैं

सौंदर्य की हानि

नवम अध्याय नीति : 12 सौंदर्य की हानि चाणक्य नीति के नवम अघ्याय के बारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अपने हाथ से बनायी माला नहीं पहननी चाहिए, अपने हाथ से घिसा हुआ… सौंदर्य की हानि

महापुरूषों को जीवन

नवम अध्याय नीति : 11 महापुरूषों को जीवन चाणक्य नीति के नवम अघ्याय के ग्यारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि महापुरूषों या विद्वानों का प्रात:काल जुए की प्रसंग यानि महाभारत की कथा में… महापुरूषों को जीवन

आडंबर भी आवश्यक है

नवम अध्याय नीति :10 आडंबर भी आवश्यक है चाणक्य नीति के नवम अघ्याय के दसवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि चाहे सांप में विष हो या न हो, इसे कौन जानता है किंतु… आडंबर भी आवश्यक है

इनसे डरना नहीं चाहिए

नवम अध्याय नीति : 9 इनसे डरना नहीं चाहिए चाणक्य नीति के नवम अघ्याय के नौवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति किसी उंचे पद पर न हो और धनवान भी न… इनसे डरना नहीं चाहिए

इनसे कोई हानि नहीं

नवम अध्याय नीति : 8 इनसे कोई हानि नहीं चाणक्य नीति के नवम अघ्याय के आठवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि वेदों का अध्ययन ज्ञान प्राप्त करने के लिए किया जाता है, किन्तु… इनसे कोई हानि नहीं