जब हिम्मत करे इंसान । तब सहायता करे भगवान।। दोस्तो आप सबने शूटर दादी के नाम से मशहूर चंद्रो तोमर का नाम तो अवश्य सुना
Tag: Sanjay Kumar
आदत सुधारें, जीवन सुधारें
यह दोहा तो आपलोग अवश्य सुने होंगे— करत—करत अभ्यास जड़मति होत सुजान। रसरी आवत—जात है सिल पर पड़े निशान। मतलब जिस प्रकार एक मुलायम रस्सी
किस्मत बदलना हो तो संगति बदलिए
जीवन चलने का नाम है। आपने यह अवश्य सुना होगा। यहाँ चलने का मतलब प्रगति यानि विकास से है, न कि एक जगह से दूसरे
गुण बड़ा दोष छोटे
सप्तदश अध्याय नीति : 19-21 गुण बड़ा दोष छोटे चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के उन्नीसवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि एक गुण
परदुख कातरता
सप्तदश अध्याय नीति : 18 परदुख कातरता चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के अठारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि राजा, वेश्या, यमराज, आग,
गुणहीन पशु
सप्तदश अध्याय नीति : 16—17 गुणहीन पशु चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के सोलहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि भोजन, नींद, भय तथा
घर में स्वर्ग का सुख
सप्तदश अध्याय नीति : 15 घर में स्वर्ग का सुख चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के पंद्रहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस
शोभा
सप्तदश अध्याय नीति : 12—14 शोभा चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के बारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि नाई के घर जाकर दाढ़ी,
सुंदरता
सप्तदश अध्याय नीति : 11 सुंदरता चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के ग्यारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हाथों की सुंदरता दान से
पति परमेश्वर
सप्तदश अध्याय नीति : 10 पति परमेश्वर चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के दसवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि स्त्री न दान से
कुपत्नी
सप्तदश अध्याय नीति : 9 कुपत्नी चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के नवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि पति की आज्ञा के बिना
दुष्टता
सप्तदश अध्याय नीति : 8 दुष्टता चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के आठवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि सर्प के दांत में विष
माँ से बढ़कर कोई नहीं
सप्तदश अध्याय नीति : 7 माँ से बढ़कर कोई नहीं चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के सातवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अन्न
लाचारी
सप्तदश अध्याय नीति : 6 लाचारी चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के छठी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि शक्तिहीन व्यक्ति साधु बन जाता
विडंबना
सप्तदश अध्याय नीति : 5 विडंबना चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के पाँचवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि रत्नों की खान समुद्र शंख
तप की महिमा
सप्तदश अध्याय नीति : 3—4 तप की महिमा चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के तीसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि तप सबसे शक्तिशाली
शठ के साथ शठता
सप्तदश अध्याय नीति : 2 शठ के साथ शठता चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के दूसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि उपकारी के
विद्या और धन समय के
षष्ठदश अध्याय नीति: 20 विद्या और धन समय के चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के बीसवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि पुस्तक की
मीठे बोल
षष्ठदश अध्याय नीति : 17—19 मीठे बोल चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के सतरहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मधुर बचन बोलना, दान
निर्धनता
षष्ठदश अध्याय नीति : 16 निर्धनता चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के सौलहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि निर्धनता जीवन का अभिशाप है।
याचकता
षष्ठदश अध्याय नीति : 15 याचकता चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के पंद्रहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मांगने से मर जाना अच्छा
सार्थक दान
षष्ठदश अध्याय नीति : 14 सार्थक दान चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के चौदहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि योग्य तथा जरूरतमंद को
अनुचित धन
षष्ठदश अध्याय नीति : 11—13 अनुचित धन चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के ग्यारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो धन किसी को
महानता
षष्ठदश अध्याय नीति : 6—10 महानता चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के छठी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि गुणों से ही मनुष्य बड़ा
विनाश काले विपरीत बुद्धि
षष्ठदश अध्याय नीति : 5 विनाश काले विपरीत बुद्धि चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के पाँचवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि विनाश आने
स्त्री का चरित्र
षष्ठदश अध्याय नीति : 2—4 स्त्री का चरित्र चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के दूसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि स्त्रियां एक से
संतान
षष्ठदश अध्याय नीति : 1 संतान चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के पहली नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो मनुष्य न तो मोक्ष
पुण्य से यश
पंचदश अध्याय नीति : 19 पुण्य से यश चाणक्य नीति के पंचदश अघ्याय के उन्नीसवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि एक छोटे से
दृढ़ता
पंचदश अध्याय नीति : 18 दृढ़ता चाणक्य नीति के पंचदश अघ्याय के अठारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कट जाने के बाद भी
प्रेम बंधन
पंचदश अध्याय नीति : 17 प्रेम बंधन चाणक्य नीति के पंचदश अघ्याय के सतरहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बंधन तो अनेक हैं,