द्वितीय अध्याय नीति :2.10,11,12 बच्चों के प्रति माता—पिता का कर्त्तव्य चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय के दसवे नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि पिता
Tag: Vicharalay
साधु पुरूष
द्वितीय अध्याय नीति :2.9 साधु पुरूष चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय के नौवें नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि प्रत्येक
पराधीनता
द्वितीय अध्याय नीति :2.8 पराधीनता चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय के आठवें नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मूर्खता, यौवन और पराधीनता कष्ट है।
मन के विचार को गुप्त रखना चाहिए
द्वितीय अध्याय नीति :2.7 मन के विचार को गुप्त रखना चाहिए चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय के सातवें नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि
धोखेबाज मित्र को त्याग देना चाहिए
द्वितीय अध्याय नीति :2.5 & 6 धोखेबाज मित्र को त्याग देना चाहिए चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय के पांचवे एवं छठे नीति में आचार्य चाणक्य
सार्थकता में ही संबंध का सुख है
द्वितीय अध्याय नीति :2.4 सार्थकता में ही संबंध का सुख है चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय के चौथे नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि
जीवन के सुख में ही स्वर्ग है
द्वितीय अध्याय नीति :2.3 जीवन के सुख में ही स्वर्ग है चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय के तीसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि
जीवन के सुख भाग्यवान को ही मिलते हैं
द्वितीय अध्याय नीति :2.2 जीवन के सुख भाग्यवान को ही मिलते हैं चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय के दूसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं
स्त्रियों के स्वाभाविक दोष
द्वितीय अध्याय नीति :2.1 स्त्रियों के स्वाभाविक दोष चाणक्य नीति के दूसरे अध्याय के पहली नीति में आचार्य चाणक्य नारी के स्वाभाव का वर्णन किया
स्त्री पुरूष से आगे होती है
प्रथम अध्याय नीति:1.17 स्त्री पुरूष से आगे होती है चाणक्य नीति के प्रथम अध्याय के सतरहें नीति में आचार्य चाणक्य पुरूष एवं महिला के बीच
सफल जीवन के लिए विशेषज्ञ (Specialist) बनना क्या जरूरी है?
दोस्तों जैसे—जैसे मानव विकास के नये आयाम को छू रहे हैं, सोचने—समझने की शक्ति में भी परिवर्तन हो रहा है। ज्यादातर लोग इसे सकारात्मक मान
इन कचड़ों से बचें
डायनामाईट के आविष्कारक अल्फ्रेड नॉबेल को जब इसके दुरूपयोग के बारे में पता चला तो वे बहुत दुखी हुए, और अपनी भूल सुधारने के लिए
One Nation, One Card, One Account
दोस्तों सरकार एवं जनता दोनों चाहते हैं कि देश में भ्रष्टाचार न हो और भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए प्रयास भी लगातार हो रहे हैं। लेकिन
मानव को हमेशा स्वयं के हित के लिए सोचना चाहिए।
दोस्तों हमारे समाज में कुछ धारणाएँ ऐसी है कि लगता तो वह सच जैसा ही है और तो और समाज के प्रत्येक वर्ग के लोगों