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जब हिम्मत करे इंसान । तब सहायता करे भगवान।। दोस्तो आप सबने शूटर दादी के नाम से मशहूर चंद्रो तोमर का नाम तो अवश्य सुना होगा। यह उक्ति उन्हीं का है। लेकिन आज मैं शूटर… प्रसिद्ध उद्योगपति पद्मश्री श्रीमती कल्पना सरोज (Mrs. Kalpana Saroj)
यह दोहा तो आपलोग अवश्य सुने होंगे— करत—करत अभ्यास जड़मति होत सुजान। रसरी आवत—जात है सिल पर पड़े निशान। मतलब जिस प्रकार एक मुलायम रस्सी के रगड़ से कुँआ के पत्थर पर निशान हो जाता… आदत सुधारें, जीवन सुधारें
जीवन चलने का नाम है। आपने यह अवश्य सुना होगा। यहाँ चलने का मतलब प्रगति यानि विकास से है, न कि एक जगह से दूसरे जगह पर जाने से है। अगर हम जीवन के सभी… किस्मत बदलना हो तो संगति बदलिए
सप्तदश अध्याय नीति : 19-21 गुण बड़ा दोष छोटे चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के उन्नीसवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि एक गुण सारे दोषों को नष्ट कर देता है। वहीं बीसवी नीति… गुण बड़ा दोष छोटे
सप्तदश अध्याय नीति : 18 परदुख कातरता चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के अठारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि राजा, वेश्या, यमराज, आग, चोर, बालक, भिखारी और ग्राकंटक ये आठ लोग व्यक्ति के… परदुख कातरता
सप्तदश अध्याय नीति : 16—17 गुणहीन पशु चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के सोलहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि भोजन, नींद, भय तथा मैथुन करना ये सब बातें मनुष्यों एवं पशुओं में समान… गुणहीन पशु
सप्तदश अध्याय नीति : 15 घर में स्वर्ग का सुख चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के पंद्रहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस घर में शुभ लक्षणोवाली स्त्री हो, धन संपत्ति हो, विनम्र… घर में स्वर्ग का सुख
सप्तदश अध्याय नीति : 10 पति परमेश्वर चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के दसवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि स्त्री न दान से न सैकड़ों व्रतों से और न तीर्थों की यात्रा करने… पति परमेश्वर
सप्तदश अध्याय नीति : 7 माँ से बढ़कर कोई नहीं चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के सातवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अन्न और जल के समान कोई दान नहीं है। द्वादशी के… माँ से बढ़कर कोई नहीं
सप्तदश अध्याय नीति : 3—4 तप की महिमा चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के तीसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि तप सबसे शक्तिशाली हैं जो दूर है, दुराध्य है, वह सब तप से … तप की महिमा
सप्तदश अध्याय नीति : 2 शठ के साथ शठता चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के दूसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि उपकारी के साथ उपकार, तथा हिंसक के साथ प्रतिहिंसा करनी चाहिए। दुष्ट… शठ के साथ शठता
षष्ठदश अध्याय नीति: 20 विद्या और धन समय के चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के बीसवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि पुस्तक की विद्या और दूसरे के हाथ में गया धन समय पर… विद्या और धन समय के
षष्ठदश अध्याय नीति : 14 सार्थक दान चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के चौदहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि योग्य तथा जरूरतमंद को ही दान देना चाहिए। अन्य दान, यज्ञ आदि नष्ट हो… सार्थक दान