Skip to content

सोचकर काम करना चाहिए

द्वादश अध्याय नीति : 18-19 सोचकर काम करना चाहिए चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के अठारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि धन की अनाप—शनाप खर्च करनेवाला जिसका कोई भी अपना न हो, जो… सोचकर काम करना चाहिए

सीख कहीं से भी ले लें

द्वादश अध्याय नीति :17 सीख कहीं से भी ले लें चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के सतरहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति सभी से कुछ न कुछ सीख सकता है। उसे राजपुत्रों… सीख कहीं से भी ले लें

राम की महिमा

द्वादश अध्याय नीति : 15-16 राम की महिमा चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के पंद्रहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि धर्म में तत्परता, मुख में मधुरता, दान में उत्साह मित्रों के साथ निष्कपटता,… राम की महिमा

सच्चा पंडित

द्वादश अध्याय नीति : 14 सच्चा पंडित चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के चौदहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को चाहिए कि अन्य व्यक्तियों की स्त्रियों को माता के समान समझे, दूसरों… सच्चा पंडित

अनुराग ही जीवन है

द्वादश अध्याय नीति : 13 अनुराग ही जीवन है चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के तेरहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस प्रकार यजमान से निमंत्रण पाना ही ब्राह्मणों के लिए प्रसन्नता का… अनुराग ही जीवन है

दुष्ट दुष्ट ही है

द्वादश अध्याय नीति : 12 दुष्ट दुष्ट ही है चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के बारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि उम्र का दुष्टता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। दुष्ट चाहे बूढ़ा हो… दुष्ट दुष्ट ही है

रिश्तेदारों के छ: गुण

द्वादश अध्याय नीति : 11 रिश्तेदारों के छ: गुण चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के ग्यारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि सच्चाई व्यक्ति के मां के समान है, ज्ञान पिता के समान, धर्म… रिश्तेदारों के छ: गुण

तुच्छता में बड़प्पन नहीं

द्वादश अध्याय नीति : 9—10 तुच्छता में बड़प्पन नहीं चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के नौवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस शहर में विद्वान, बुद्धिमान, ज्ञानी पुरूष नहीं रहते हैं, जहाँ के… तुच्छता में बड़प्पन नहीं

संगति की महिमा

द्वादश अध्याय नीति : 7—8 संगति की महिमा चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के सातवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि फूलों की सुगंध से मिट्टी तो सुगंधित हो जाती है पर मिट्टी के… संगति की महिमा

भाग्य का दोष

द्वादश अध्याय नीति : 6 भाग्य का दोष चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के छठी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि करील में पत्ते नहीं आते, उल्लू दिन में नहीं देख सकता और चातक… भाग्य का दोष

व्यर्थ जीवन

द्वादश अध्याय नीति : 5 व्यर्थ जीवन चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के पाँचवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिन लोगों का भगवान श्री कृष्ण के चरण कमलों में अनुराग नहीं है, जिनकी… व्यर्थ जीवन

मनुष्यरूपी गीदड़

द्वादश अध्याय नीति : 4 मनुष्यरूपी गीदड़ चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के चौथी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो मनुष्य कभी किसी चीज का दान नहीं किया, जिसके कानों में कभी कोई… मनुष्यरूपी गीदड़

दान

द्वादश अध्याय नीति : 2 दान चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के दूसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति दुखियों, गरीबों, विद्वान महापुरूषों आदि को थोड़ा सा भी दान देता है, उसे… दान

गृहस्थ धर्म

द्वादश अध्याय नीति : 1 गृहस्थ धर्म चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के पहली नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस गृहस्थ के घर में उत्सव, यज्ञ, पाठ और कीर्तन आदि होता रहता है।… गृहस्थ धर्म

दान की महिमा

एकादश अध्याय नीति : 17 दान की महिमा चाणक्य नीति के एकादश अघ्याय के सतरहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि महापुरूषों को अन्न—धन आदि का दान करते रहना चाहिए। इसका संचय करना उचित… दान की महिमा

म्लेच्छ एवं चांडाल

एकादश अध्याय नीति : 15—16 म्लेच्छ एवं चांडाल चाणक्य नीति के एकादश अघ्याय के पंद्रहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो ब्राह्मण बावड़ी, कुंए, तालाब, उपवन, बाग—बगीचे, मंदिर आदि को नष्ट करता है,… म्लेच्छ एवं चांडाल

बिलौटा

एकादश अध्याय नीति : 14 बिलौटा चाणक्य नीति के एकादश अघ्याय के चौदहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दूसरे का काम बिगाड़नेवाला, घमंडी स्वभाववाला, अपना ही स्वार्थ देखनेवाला, दूसरों से जलनेवाला, छल—कपट, झूठ—फरेब… बिलौटा

वैश्य

एकादश अध्याय नीति : 13 वैश्य चाणक्य नीति के एकादश अघ्याय के तेरहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि सभी सांसारिक काम करनेवाला, पशु पालनेवाला, व्यापार करनेवाला, खेती करनेवाला ब्राह्मण भी वैश्य की कहलायेगा।… वैश्य

द्विज

एकादश अध्याय नीति : 12 द्विज चाणक्य नीति के एकादश अघ्याय के बारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो ब्राह्मण दिन में केवल एक बार भोजन करता है और उसी से संतुष्ट रहता… द्विज

ऋषि

एकादश अध्याय नीति : 11 ऋषि चाणक्य नीति के एकादश अघ्याय के ग्यारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ऋषि उस ब्राह्मण को कहते हैं जो घर छोड़कर वन में रहने लगता है, बिना… ऋषि

विद्यार्थियों के लिए वर्जित

एकादश अध्याय नीति : 10 विद्यार्थियों के लिए वर्जित चाणक्य नीति के एकादश अघ्याय के दसवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि स्त्री सहवास, क्रोध करना, लोभ करना, स्वाद के लिए भोजन करना, श्रृंगार… विद्यार्थियों के लिए वर्जित

मौन

एकादश अध्याय नीति : 9 मौन चाणक्य नीति के एकादश अघ्याय के नौवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मौन रहना एक प्रकार की तपस्या है। जो व्यक्ति केवल एक वर्ष तक मौन रहता… मौन

गुण ग्राहकता

एकादश अध्याय नीति : 8 गुण ग्राहकता चाणक्य नीति के एकादश अघ्याय के आठवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो जिसके गुणों को नहीं जानता वह यदि उसकी निंदा करें तो इसमें आश्चर्य… गुण ग्राहकता

आदत नहीं बदलती

एकादश अध्याय नीति : 6—7 आदत नहीं बदलती चाणक्य नीति के एकादश अघ्याय के छठी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दुष्ट को चाहे कितना ही सिखाओ—पढ़ाओ उसे सज्जन नहीं बनाया जा सकता। क्योंकि… आदत नहीं बदलती