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शुभ कर्म करें

अष्टम अध्याय नीति : 10 शुभ कर्म करें चाणक्य नीति के अष्टम अघ्याय के दसवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि देवता का वास न लकड़ी में है, न ही पत्थर में। देवता का… शुभ कर्म करें

विडम्बना

अष्टम अध्याय नीति : 9 विडम्बना चाणक्य नीति के अष्टम अघ्याय के नौवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बुढ़ापे में पत्नी की मृत्यु, धन का भाईयों के हाथ में चला जाना, भोजन के… विडम्बना

ज्ञान को व्यवहार में लाना चाहिए

अष्टम अध्याय नीति : 8 ज्ञान को व्यवहार में लाना चाहिए चाणक्य नीति के अष्टम अघ्याय के आठवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ज्ञान को व्यवहार में लाना चाहिए। ऐसा न करने पर… ज्ञान को व्यवहार में लाना चाहिए

पानी एक औषधि

अष्टम अध्याय नीति :7 पानी एक औषधि चाणक्य नीति के अष्टम अघ्याय के सातवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि भोजन न पचने पर जल औषधि के समान होता है। भोजन करते समय जल… पानी एक औषधि

स्नान से शुद्धता

अष्टम अध्याय नीति: 6 स्नान से शुद्धता चाणक्य नीति के अष्टम अघ्याय के छठी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि शरीर में तेल की मालिश करने के बाद, चितों की धुआँ लग जाने पर,… स्नान से शुद्धता

धन का सुदपयोग

अष्टम अध्याय नीति: 5 धन का सुदपयोग चाणक्य नीति के अष्टम अघ्याय के पाँचवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि गुणी लोगों को ही धन देना चाहिए, गुणहीन को नहीं। बादल सागर से पानी… धन का सुदपयोग

सबसे बड़ा नीच

अष्टम अध्याय नीति:4 सबसे बड़ा नीच चाणक्य नीति के अष्टम अघ्याय के चौथी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि एक हजार चांडालें के बराबर बुराईयां एक यवन में होता है ऐसा विद्वानों का मानना… सबसे बड़ा नीच

जैसा अन्न वैसा संतान

अष्टम अध्याय नीति:3 जैसा अन्न वैसा संतान चाणक्य नीति केअष्टम अघ्याय के तीसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति जैसा भोजन करता है, वैसी ही उसकी संतान भी पैदा होती है। सात्विक भोजन… जैसा अन्न वैसा संतान

दान का कोई समय नहीं

अष्टम अध्याय नीति: 2 दान का कोई समय नहीं चाणक्य नीति के अष्टम अघ्याय के दूसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दान देने के लिए कोई बाध्यता नहीं होती है। यानि गन्ना चूसने… दान का कोई समय नहीं

महापुरूषों का धन सम्मान है

अष्टम अध्याय नीति:1 महापुरूषों का धन सम्मान है चाणक्य नीति के अष्टम अघ्याय के पहली नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि नीच लोगों के लिए धन ही सब कुछ होता है। धन प्राप्त करने… महापुरूषों का धन सम्मान है

देह में आत्मा देखें

सप्तम अध्याय नीति : 20 देह में आत्मा देखें चाणक्य नीति के सप्तम अघ्याय के बीसवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि फूल में सुगंध होता है। तिलों में तेल होता है, लकड़ी में… देह में आत्मा देखें

सबसे बड़ी पवित्रता

सप्तम अध्याय नीति : 19 सबसे बड़ी पवित्रता चाणक्य नीति के सप्तम अघ्याय के उन्नीसवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मन में बुरे विचार न आने देना, मुँह से कोई गलत बात न… सबसे बड़ी पवित्रता

विद्या बिना जीवन व्यर्थ है

सप्तम अध्याय नीति : 18 विद्या बिना जीवन व्यर्थ है चाणक्य नीति के सप्तम अघ्याय के अठारहवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस प्रकार कुत्ते की पूँछ से न तो उसके गुप्त अंग… विद्या बिना जीवन व्यर्थ है

सज्जनों का ही संगत करना चाहिए

सप्तम अध्याय नीति : 17 सज्जनों का ही संगत करना चाहिए चाणक्य नीति के सप्तम अघ्याय के सतरहवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यदि व्यक्ति महान लोगों का साथ करता है तो उसे… सज्जनों का ही संगत करना चाहिए

दुष्कर्मी नरक भोगते हैं

सप्तम अध्याय नीति : 16 दुष्कर्मी नरक भोगते हैं चाणक्य नीति के सप्तम अघ्याय के सौलहवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दुष्ट व्यक्ति अत्यंत क्रोधी स्वभाव का होता है। इसकी वाणी कड़वी होती… दुष्कर्मी नरक भोगते हैं

सत्कर्म में ही महानता है

सप्तम अध्याय नीति : 15 सत्कर्म में ही महानता है चाणक्य नीति के सप्तम अघ्याय के पंद्रहवही नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दान देने की आदतवाला, सबसे प्रिय बोलने वाला, देवताओं की पूजा… सत्कर्म में ही महानता है

अर्जित धन का त्याग करते रहें

सप्तम अध्याय नीति : 14 अर्जित धन का त्याग करते रहें चाणक्य नीति के सप्तम अघ्याय के चौदहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी तालाब के जल को स्वच्छ रखने के लिए उसका… अर्जित धन का त्याग करते रहें

हंस के समान व्यवहार नहीं करें

सप्तम अध्याय नीति : 13 हंस के समान व्यवहार नहीं करें चाणक्य नीति के सप्तम अघ्याय के तेरहवीं ​नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य को हंस के समान व्यवहार नहीं करना चाहिए। उसे… हंस के समान व्यवहार नहीं करें

जीवन का सिद्धांत

सप्तम अध्याय नीति : 12 जीवन का सिद्धांत चाणक्य नीति के सप्तम अघ्याय के बारहवीं ​नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को अधिक सीधा यानि भोला—भाला नहीं होना चाहिए। अधिक सीधा व्यक्ति को… जीवन का सिद्धांत

स्त्रियों का बल यौवन होता है।

सप्तम अध्याय नीति : 11 स्त्रियों का बल यौवन होता है। चाणक्य नीति के सप्तम अघ्याय के ग्यारहवीं ​नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस राजा के बाजुओं में शक्ति होती है वहीं राजा… स्त्रियों का बल यौवन होता है।

किसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए

सप्तम अध्याय नीति : 10 किसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए चाणक्य नीति के सप्तम अघ्याय के ​दसवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यदि शत्रु अपने से अधिक बलवान हो तो उसी के… किसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए

कौन कब प्रसन्न होते हैं

सप्तम अध्याय नीति : 9 कौन कब प्रसन्न होते हैं चाणक्य नीति के सप्तम अघ्याय के नौवी ​नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ब्राह्मण भोजन से प्रसन्न होते हैं। मोर बादलों के गजरने पर… कौन कब प्रसन्न होते हैं

किस प्रकार वश में करना चाहिए

सप्तम अध्याय नीति : 8 किस प्रकार वश में करना चाहिए चाणक्य नीति के सप्तम अघ्याय के आठवीं ​नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हाथी को अंकुश से पीटकर वश में किया जाता है।… किस प्रकार वश में करना चाहिए

इनसे बचना चाहिए

सप्तम अध्याय नीति : 5 & 7 इनसे बचना चाहिए चाणक्य नीति के सप्तम अघ्याय के पाँचवी ​नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दो ब्रह्मणों के बीच से और आग के बीच से, मालिक… इनसे बचना चाहिए