आत्मा को पहचानें
पंचम अध्याय नीति : 12 आत्मा को पहचानें चाणक्य नीति के पंचम अघ्याय के बारहवें नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि काम—वासना मनुष्य का सबसे बड़ा रोग है, मोहमाया या अज्ञानता सबसे बड़ा शत्रु… आत्मा को पहचानें
पंचम अध्याय नीति : 12 आत्मा को पहचानें चाणक्य नीति के पंचम अघ्याय के बारहवें नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि काम—वासना मनुष्य का सबसे बड़ा रोग है, मोहमाया या अज्ञानता सबसे बड़ा शत्रु… आत्मा को पहचानें
पंचम अध्याय नीति : 11 नष्ट करने वाला चाणक्य नीति के पंचम अघ्याय के ग्यारहवें नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दान दरिद्रता को नष्ट कर देता है। सदाचार से व्यक्ति के दुख नष्ट… नष्ट करने वाला
पंचम अध्याय नीति : 10 मूर्ख का त्याग करें चाणक्य नीति के पंचम अघ्याय के दसवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो लोग वेदों को, पांडित्य को, शास्त्रों को, सदाचार को तथा शांत… मूर्ख का त्याग करें
पंचम अध्याय नीति :9 कौन किसी रक्षा करता है चाणक्य नीति के पंचम अघ्याय के नौवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि धन से धर्म की, योग से विद्या की, मधुर स्वभाव से राजा… कौन किसी रक्षा करता है
पंचम अध्याय नीति : 8 गुणों से पहचान होती है चाणक्य नीति के पंचम अघ्याय के आठवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति के साथ रहने पर उसके परिश्रम, बोलने के ढंग आदि… गुणों से पहचान होती है
पंचम अध्याय नीति : 7 नष्ट होने के कारण चाणक्य नीति के पंचम अघ्याय के सातवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं किआलस्य से विद्या नष्ट होती है। दूसरे के हाथ में जाने से धन… नष्ट होने के कारण
पंचम अध्याय नीति : 6 इनमें द्वेष भावना होती है चाणक्य नीति के पंचम अघ्याय के छठी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मूर्ख व्यक्ति पंडित को देखकर जलता है। निर्धन-गरीब व्यक्ति धनवानों को… इनमें द्वेष भावना होती है
पंचम अध्याय नीति : 5 स्पष्टवादी बनें चाणक्य नीति के पंचम अघ्याय के पाँचवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति को दुनियादारी से वैराग्य हो जाता है, उसे कोई कार्य नहीं सौंपना… स्पष्टवादी बनें
पंचम अध्याय नीति : 4 दो लोगों का स्वभाव एक सा नहीं होता चाणक्य नीति के पंचम अघ्याय के चौथी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस प्रकार बेर और कांटे एक ही वृक्ष… दो लोगों का स्वभाव एक सा नहीं होता
पंचम अध्याय नीति : 3 संकट का सामना करें चाणक्य नीति के पंचम अघ्याय के तीसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि आपत्तियों एवं संकटों से तभी तक डरना चाहिए जब तक वह दूर… संकट का सामना करें
पंचम अध्याय नीति : 2 पुरूष की परख गुणों से होती है चाणक्य नीति के पंचम अघ्याय के दूसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि सोने का परीक्षण, घीसने, काटने, तपाने और पीटने इन… पुरूष की परख गुणों से होती है
पंचम अध्याय नीति : 1 अतिथि श्रेष्ठ होता है चाणक्य नीति के पंचम अघ्याय के प्रथम नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अग्नि ब्राह्मण, क्षत्रिय एवं वैश्य तीनों वर्णों का गुरू है। ब्राह्मण अपने… अतिथि श्रेष्ठ होता है
चतुर्थ अध्याय नीति : 19-20 माता—पिता के विभिन्न रूप चाणक्य नीति के चतुर्थ अघ्याय के उन्नीसवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि संस्कार के अनुसार पाँच प्रकार के पिता होते हैं— जन्म देनेवाला, उपनयन… माता—पिता के विभिन्न रूप
चतुर्थ अध्याय नीति : 18 काम से पहले विचार कर लेना चाहिए चाणक्य नीति के चतुर्थ अघ्याय के अठारहवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को किसी भी काम शुरू करने के पहले… काम से पहले विचार कर लेना चाहिए
चतुर्थ अध्याय नीति : 17 बुढ़ापे का लक्षण चाणक्य नीति के चतुर्थ अघ्याय के सतरहवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि राह में चलते रहने से थककर मनुष्य अपने आप को बुढ़ा अनुभव करने… बुढ़ापे का लक्षण
चतुर्थ अध्याय नीति : 16 इनका त्याग देना ही श्रेयस्कर है चाणक्य नीति के चतुर्थ अघ्याय के सोलहवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस धर्म में दया न हो उस धर्म को छोड़… इनका त्याग देना ही श्रेयस्कर है
चतुर्थ अध्याय नीति : 15 ज्ञान का अभ्यास निरंतर करते रहना चाहिए चाणक्य नीति के चतुर्थ अघ्याय के पंद्रहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ज्ञान को स्थायी एवं उपयोगी बनाए रखने के लिए… ज्ञान का अभ्यास निरंतर करते रहना चाहिए
चतुर्थ अध्याय नीति : 14 निर्धनता अभिाशाप है चाणक्य नीति के चतुर्थ अघ्याय के चौदहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि पुत्रहीन के लिए घर सूना हो जाता है। जिसके भाई न हो उसके… निर्धनता अभिाशाप है
चतुर्थ अध्याय नीति : 13 आदर्श पत्नी चाणक्य नीति के चतुर्थ अघ्याय के तेरहवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि आदर्श पत्नी वही है जो मन, वचन तथा कर्म से पवित्र हो, कुशल गृहिणी… आदर्श पत्नी
चतुर्थ अध्याय नीति : 12 कब कितनों के साथ रहें चाणक्य नीति के चतुर्थ अघ्याय के बारहवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि तप में अकेले, पढ़ने में दो, गाने में तीन, जाते समय… कब कितनों के साथ रहें
चतुर्थ अध्याय नीति : 11 ये बातें एक बार ही होती है चाणक्य नीति के चतुर्थ अघ्याय के ग्यारहवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि राजा का आदेश एक ही बार होता है। विद्वान… बातें एक बार ही होती है
चतुर्थ अध्याय नीति : 10 सुखदायक वस्तु चाणक्य नीति के चतुर्थ अघ्याय के दसवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि सांसारिक ताप से जलते हुए लोगों को तीन ही चीजें आराम दे सकती है—… सुखदायक वस्तु
चतुर्थ अध्याय नीति : 9 जिनका उपयोग नहीं उनका होना बेकार है चाणक्य नीति के चतुर्थ अघ्याय के नौवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अनुपयोगी वस्तुओं का होना न होने के बराबर है।… जिनका उपयोग नहीं उनका होना बेकार है
चतुर्थ अध्याय नीति : 8 इससे सदा बचना चाहिए चाणक्य नीति के चतुर्थ अघ्याय के आठवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दुष्टों के गावं में रहना, कुलहीन की सेवा, कुभोजन, झगड़ालु पत्नी, मूर्ख… इससे सदा बचना चाहिए