माता—पिता का कर्त्तव्य
द्वितीय अध्याय नीति :2.10,11,12 बच्चों के प्रति माता—पिता का कर्त्तव्य चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय के दसवे नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि पिता का सबसे बड़ा कर्त्तव्य है कि पुत्र को बेहतर शिक्षा… माता—पिता का कर्त्तव्य
द्वितीय अध्याय नीति :2.10,11,12 बच्चों के प्रति माता—पिता का कर्त्तव्य चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय के दसवे नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि पिता का सबसे बड़ा कर्त्तव्य है कि पुत्र को बेहतर शिक्षा… माता—पिता का कर्त्तव्य
द्वितीय अध्याय नीति :2.9 साधु पुरूष चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय के नौवें नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि प्रत्येक पर्वत पर मणि—माणिक्य हो, प्रत्येक हाथी के मस्तक से मुक्ता… साधु पुरूष
द्वितीय अध्याय नीति :2.7 मन के विचार को गुप्त रखना चाहिए चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय के सातवें नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मन में जो भी काम करने का विचार हो उसे… मन के विचार को गुप्त रखना चाहिए
द्वितीय अध्याय नीति :2.5 & 6 धोखेबाज मित्र को त्याग देना चाहिए चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय के पांचवे एवं छठे नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं किएक विष भरे घड़े के उपर यदि थोड़ा… धोखेबाज मित्र को त्याग देना चाहिए
द्वितीय अध्याय नीति :2.4 सार्थकता में ही संबंध का सुख है चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय के चौथे नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि पुत्र वहीे है जो पिता का आज्ञाकारी है, जो पिता… सार्थकता में ही संबंध का सुख है
द्वितीय अध्याय नीति :2.3 जीवन के सुख में ही स्वर्ग है चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय के तीसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिसका पुत्र आज्ञाकारी हो, पत्नी धार्मिक एवं उत्तम चाल—चलन वाली… जीवन के सुख में ही स्वर्ग है
द्वितीय अध्याय नीति :2.2 जीवन के सुख भाग्यवान को ही मिलते हैं चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय के दूसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि भोज्य पदार्थ यानि भोजन की सामग्री, भोजन शक्ति, सुंदर… जीवन के सुख भाग्यवान को ही मिलते हैं
द्वितीय अध्याय नीति :2.1 स्त्रियों के स्वाभाविक दोष चाणक्य नीति के दूसरे अध्याय के पहली नीति में आचार्य चाणक्य नारी के स्वाभाव का वर्णन किया है। वे कहते हैं कि झूठ बोलना, साहस, छल—कपट, मूर्खता,… स्त्रियों के स्वाभाविक दोष
प्रथम अध्याय नीति:1.17 स्त्री पुरूष से आगे होती है चाणक्य नीति के प्रथम अध्याय के सतरहें नीति में आचार्य चाणक्य पुरूष एवं महिला के बीच तुलना कर कहते हैं कि स्त्रियों में आहार दुगुना, लज्जा… स्त्री पुरूष से आगे होती है
दोस्तों जैसे—जैसे मानव विकास के नये आयाम को छू रहे हैं, सोचने—समझने की शक्ति में भी परिवर्तन हो रहा है। ज्यादातर लोग इसे सकारात्मक मान रहे हैं। बाजार का नियम है जो दिखता है वह… सफल जीवन के लिए विशेषज्ञ (Specialist) बनना क्या जरूरी है?
डायनामाईट के आविष्कारक अल्फ्रेड नॉबेल को जब इसके दुरूपयोग के बारे में पता चला तो वे बहुत दुखी हुए, और अपनी भूल सुधारने के लिए नॉबेल पुरस्कार देने की व्यवस्था की। सोशल मीडिया के निर्माताओं… इन कचड़ों से बचें
दोस्तों सरकार एवं जनता दोनों चाहते हैं कि देश में भ्रष्टाचार न हो और भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए प्रयास भी लगातार हो रहे हैं। लेकिन यह भ्रष्टाचार है कि सुरसा की मुँह की तरह बढ़ती… One Nation, One Card, One Account
दोस्तों हमारे समाज में कुछ धारणाएँ ऐसी है कि लगता तो वह सच जैसा ही है और तो और समाज के प्रत्येक वर्ग के लोगों द्वारा वह मान्यताप्राप्त भी है, पर असल में वह सच… मानव को हमेशा स्वयं के हित के लिए सोचना चाहिए।