द्वितीय अध्याय नीति :2.2
जीवन के सुख भाग्यवान को ही मिलते हैं
चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय के दूसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि भोज्य पदार्थ यानि भोजन की सामग्री, भोजन शक्ति, सुंदर नारी, रतिशक्ति, वैभव एवं दान—शक्ति ये सब सुख महान तपस्वी को ही प्राप्त होते हैं। अक्सर देखा गया है कि धनवान के पास खाना खाकर पचाने की शक्ति नहीं होती है। अगर भोजन की कमी नहीं हो और जीवन पर्यन्त पाचन शक्ति अच्छा हो, स्त्री से संभोग की ईच्छा बनी रहे और सुंदर स्त्री मिले, धन संपत्ति हो और दान देने की आदत भी रहे ये सारे सुख भाग्यवान को ही प्राप्त होते हैं। पूर्व जन्म में घोर तपस्या से ही ऐसा सौभाग्य प्राप्त होता है।