अष्टम अध्याय नीति:4
सबसे बड़ा नीच
चाणक्य नीति के अष्टम अघ्याय के चौथी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि एक हजार चांडालें के बराबर बुराईयां एक यवन में होता है ऐसा विद्वानों का मानना है। इसलिए यवन को सबसे नीच मनुष्य माना जाता है। यवन से नीच कोई नहीं है।