द्वादश अध्याय नीति : 4
मनुष्यरूपी गीदड़
चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के चौथी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो मनुष्य कभी किसी चीज का दान नहीं किया, जिसके कानों में कभी कोई ज्ञान की बात नहीं सुनी, जिसने आंखों से कभी सज्जनों महात्माओं के दर्शन नहीं किए, जो कभी किसी तीर्थ में नहीं गया, जो गलत तरीकों से धन कमाता है और घमंडी होता है। ऐसे मनुष्यरूपी गीदड़ का शीघ्र मर जाना अच्छा है।