त्रयोदश अध्याय नीति : 11-12
मोक्ष मार्ग
चाणक्य नीति के त्रयोदश अघ्याय के ग्यारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बुराइयों में, गलत विचारों में मन को लगाना ही बंधन है और इससे मन को हटा लेना ही मोक्ष का मार्ग दिखाता है। इस प्रकार यह मन ही बंधन या मोक्ष देने वाला है।
वहीं बारहवी नीति में आचार्य कहते हैं कि साधक जब परमात्मा को जान जाता है तो उसे संसार की प्रत्येक वस्तु माया जान पड़ती है, अत: वह अपने शरीर को भी अपना नहीं समझता। ऐसा ज्ञान होने पर व्यक्ति का मन चाहे कहीं रहे उसे समाधि लग जाती है।